गायत्री मंत्र का अर्थ और जाप |

गायत्री मंत्र का अर्थ और जाप |

गायत्री मंत्र: ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
गायत्री मंत्र का अर्थ: प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का हम ध्यान करते हैं,
ईश्वर का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

अर्थ: हिंदी में 

प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का हम ध्यान करते हैं,
ईश्वर का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

चौबीस अक्षरों से मिलकर बना हैं गायत्री मंत्रत्

कुल चौबीस अक्षरों से मिलकर बना हैं गायत्री मंत्रत्
गायत्री मन्त्र में कुल चौबीस अक्षर हैं । ऋषियों ने इन अक्षरों में बीजरूप में विद्यमान उन शक्तियों को पहचाना जिन्हें चौबीस अवतार, चौबीस ऋषि, चौबीस शक्तियां तथा चौबीस सिद्धियां कहा जाता है । गायन्त्री मन्त्र के चौबीस अक्षरों के चौबीस देवता हैं । उनकी चौबीस चैतन्य शक्तियां हैं । गायत्री मन्त्र के चौबीस अक्षर 24 शक्ति बीज हैं । गायत्री मन्त्र की उपासना करने से उन 24 शक्तियों का लाभ और सिद्धियां मिलती हैं । जाने गायत्री की शक्तियों के द्वारा क्या-क्या लाभ मिलते हैं-मिलते हैं-

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