अमृता प्रीतम की जीवनी
आप सभी का स्वागत है दोस्तों हमारे मोटिवेशनल वेबसाइट पर आज का हमारा ब्लॉग एक ऐसी कवियित्री के बारे में जिसने हमलोग बहुत सारी अनमोल रचनाए दी है और आज अमृता प्रीतम की 100 वा जन्मदिवस भी है।
अमृता प्रीतम एक भारतीय लेखिका और कवियित्री थी, जो पंजाबी और हिंदी में लिखती थी। उन्हें पंजाब की पहली मुख्य महिला कवियित्री भी माना जाता था और इसके साथ ही वे एक साहित्यकार और निबंधकार भी थी और पंजाबी भाषा की 20 वी सदी की प्रसिद्ध कवियित्री थी।
अमृता प्रीतम को भारत – पाकिस्तान की बॉर्डर पर दोनों ही तरफ से प्यार मिला। अपने 6 दशको के करियर में उन्होंने कविताओ की 100 से ज्यादा किताबे, जीवनी, निबंध और पंजाबी फोक गीत और आत्मकथाए भी लिखी। उनके लेखो और उनकी कविताओ को बहुत सी भारतीय और विदेशी भाषाओ में भाषांतरित किया गया है।
अमृता प्रीतम का जीवन
अमृता प्रीतम (1919-2005) पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थी। पंजाब (भारत) के गुजराँवाला जिले में पैदा हुईं अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 100 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था।[1]
अमृता प्रीतम का जन्म 1919 में गुजरांवाला पंजाब (भारत) में हुआ। बचपन बीता लाहौर में, शिक्षा भी वहीं हुई। किशोरावस्था से लिखना शुरू किया: कविता, कहानी और निबंध। प्रकाशित पुस्तकें पचास से अधिक। महत्त्वपूर्ण रचनाएं अनेक देशी विदेशी भाषाओं में अनूदित।
जाने कवियित्री अमृता प्रीतम का व्यक्तिगत जीवन
1935 में अमृता का विवाह प्रीतम सिंह से हुआ, जो लाहौर के अनारकली बाज़ार के होजिअरी व्यापारी के बेटे थे। 1960 में अमृता ने उनके पति को छोड़ दिया। और साथ ही उन्होंने कवी साहिर लुधिंवी के प्रति हो रहे उनके आकर्षण को भी बताया। इस प्यार की कहानी उनकी आत्मकथा रसीदी टिकट में भी हमें दिखायी देती है।
जब दूसरी महिला गायिका सुधा मल्होत्रा साहिर की जिंदगी में आयी तो अमृता ने अपने लिए दूसरा जीवनसाथी ढूंडना शुरू कर दिया। और उनकी मुलाकात आर्टिस्ट और लेखक इमरोज़ से हुई। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम चालीस साल इमरोज़ के साथ ही व्यतीत किये। आपस में बिताया इनका जीवन भी किसी किताब से कम नही और इनके जीवन पर आधारित एक किताब भी लिखी गयी है, अमृता इमरोज़ : ए लव स्टोरी।
31 दिसम्बर 2005 को 86 साल की उम्र में नयी दिल्ली में लंबी बीमारी के चलते नींद में ही उनकी मृत्यु हो गयी थी। उनके पीछे वे अपने साथी इमरोज़, बेटी कांदला, बेटे नवराज क्वात्रा, बहु अलका और पोते टोरस, नूर, अमन और शिल्पी को छोड़ गयी थी।
अमृता प्रीतम जी की काफी ज्यादा प्रमुख रचनाए भी है,उन्होंने 28 नॉवेल, 18 एंथोलॉजी, पाँच लघु कथाए और बहुत सी कविताये भी लिखी है तो उनमे में कुछ प्रमुख रचनाओ के नाम हम नीचे दे रहे है।
प्रमुख कृतियाँ :
1. उपन्यास : पाँच बरस लंबी सड़क, पिंजर, अदालत,कोरे कागज़, उन्चास दिन, सागर और सीपियाँ, नागमणि, रंग का पत्ता, दिल्ली की गलियाँ, तेरहवां सूरज।
2. आत्मकथा : रसीदी टिकट।
3. कहानी संग्रह : कहानियाँ जो कहानियाँ नहीं हैं, कहानियों के आंगन में।
4. संस्मरण : कच्चा आँगन, एक थी सारा।
5. कविता संग्रह : चुनी हुई कविताएँ।
- उपन्यास
- डॉक्टर देव (१९४९)- (हिन्दी, गुजराती, मलयालम और अंग्रेज़ी में अनूदित),
- पिंज़र (१९५०) - (हिन्दी, उर्दू, गुजराती, मलयालम, मराठी, अंग्रेज़ी और सर्बोकरोट में अनूदित),
- आह्लणा (१९५२) (हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी में अनूदित),
- आशू (१९५८) - हिन्दी और उर्दू में अनूदित,
- इक सिनोही (१९५९) हिन्दी और उर्दू में अनूदित,
- बुलावा (१९६०) हिन्दी और उर्दू में अनूदित,
- बंद दरवाज़ा (१९६१) हिन्दी, कन्नड़, सिंधी, मराठी और उर्दू में अनूदित,
- रंग दा पत्ता (१९६३) हिन्दी और उर्दू में अनूदित,
- इक सी अनीता (१९६४) हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू में अनूदित,
- चक्क नम्बर छत्ती (१९६४) हिन्दी, अंग्रेजी, सिंधी और उर्दू में अनूदित,
- धरती सागर ते सीपियाँ (१९६५) हिन्दी और उर्दू में अनूदित,
- दिल्ली दियाँ गलियाँ (१९६८) हिन्दी में अनूदित,
- एकते एरियल (१९६९) हिन्दी और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- जलावतन (१९७०)- हिन्दी और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- यात्री (१९७१) हिन्दी, कन्नड़, अंग्रेज़ी बांग्ला और सर्बोकरोट में अनूदित,
- जेबकतरे (१९७१), हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, मलयालम और कन्नड़ में अनूदित,
- अग दा बूटा (१९७२) हिन्दी, कन्नड़ और अंग्रेज़ी में अनूदित
- पक्की हवेली (१९७२) हिन्दी में अनूदित,
- अग दी लकीर (१९७४) हिन्दी में अनूदित,
- कच्ची सड़क (१९७५) हिन्दी में अनूदित,
- कोई नहीं जानदाँ (१९७५) हिन्दी और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- उनहाँ दी कहानी (१९७६) हिन्दी और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- इह सच है (१९७७) हिन्दी, बुल्गारियन और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- दूसरी मंज़िल (१९७७) हिन्दी और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- तेहरवाँ सूरज (१९७८) हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- उनींजा दिन (१९७९) हिन्दी और अंग्रेज़ी में अनूदित,
- कोरे कागज़ (१९८२) हिन्दी में अनूदित,
- हरदत्त दा ज़िंदगीनामा (१९८२) हिन्दी और अंग्रेज़ी में अनूदित
- आत्मकथा:
- रसीदी टिकट (१९७६)
- कहानी संग्रह:
- हीरे दी कनी, लातियाँ दी छोकरी, पंज वरा लंबी सड़क, इक शहर दी मौत, तीसरी औरत सभी हिन्दी में अनूदित
- कविता संग्रह:
- लोक पीड़ (१९४४), मैं जमा तू (१९७७), लामियाँ वतन, कस्तूरी, सुनहुड़े (साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कविता संग्रह तथा कागज़ ते कैनवस ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कविता संग्रह सहित १८ कविता संग्रह।
सम्मान और पुरस्कार :
1. साहित्य अकादमी पुरस्कार (1956)।
2. पद्मश्री (1969)।
3. डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर (दिल्ली युनिवर्सिटी- 1973)।
4. डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर (जबलपुर युनिवर्सिटी- 1973)।
5. बल्गारिया वैरोव पुरस्कार (बुल्गारिया – 1988)।
6. भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982)।
7. डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर (विश्व भारती शांतिनिकेतन- 1987)।
8. फ़्रांस सरकार द्वारा सम्मान (1987)।
9. पद्म विभूषण (2004)।
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