ये छोटे-छोटे 10 प्रयास करके हम पर्यावरण को कर सकते हैं बेहतर, साल 2021 में ला सकते हैं बदलाव

ये छोटे-छोटे 10 प्रयास करके हम पर्यावरण को कर सकते हैं बेहतर, साल 2021 में ला सकते हैं बदलाव

कोरोना काल में हमने देखा कि एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधर गया. नदियों का पानी साफ हो गया और आसमान नीला दिखने लगा. लेकिन, जैसे ही देश अनलॉक हुआ, एक बार फिर उसी तरह से प्रदूषण का असर दिखने लगा. स्थिति ये है कि जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2021 में भारत एक पायदान फिसल गया है.

ऐसे समय में देश के हर व्यक्ति की ये जिम्मेदारी बनती है कि वह पर्यावरण के लिए जागरुक हो जाए और जितना हो सके अपनी तरफ से पर्वायरवण को स्वच्छ रखने में सहयोग दे. साल की शुरुआती हफ्ता है. इसमें एक नया रेजॉल्यूशन ले सकते हैं कि पर्यावरण के लिए हम अपने जीवन में क्या आमूल-चूल बदलाव लाएं.

प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल

प्लास्टिक को लेकर पूरी दुनिया में बात हो रही है. कई देश ऐसे हैं जिन्होंने प्लास्टिक को पूरी तरह से बैन कर दिया है. 2 अक्टूब 2019 को गांधी जयंती के दिन से भारत ने भी प्लास्टिक बैन कर दिया. लेकिन, स्थिति ये है कि प्लास्टिक का उपयोग उसी तरह से हो रहा है.

ऐसे में हमारी जिम्मेदारी हो जाती है कि हम कम से कम प्लास्टिक का उपयोग करें. हो सके तो प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से बंद हो जाए. लेकिन, यदि मजबूरी भी है तो हम वन-टाइम यूज प्लास्टिक मेटेरियल से तो पूरी तरह दूरी ही बना लें.

कार की जगह साइकल

लॉकडाउन के दिनों में हमने देखा कि किस तरह गाड़ियों के न चलने से हमारे पर्यावरण पर बेहतरीन असर पड़ा है. लेकिन, लॉकडाउन जैसी जिंदगी तो हमेशा नहीं जी सकते हैं. ऐसे में हफ्ते में एक दिन कार को घर में रहने दें. इससे कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा. रिसर्च के मुताबिक़, एक व्यक्ति भी कार का इस्तेमाल बंद कर दे तो सलाना CO2 का उत्सर्जन 2 टन तक कम हो जाएगा.

प्लने की जगह ट्रेन

अगर आपको ऐसा सफर करना है जिसमें आप प्लेन की जगह ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं तो ट्रेन का ही सफर करिए. इससे भी Co2 का उत्सर्जन कम होगा. रिसर्च के मुताबिक़, एक व्यक्ति की लंबी दूरी वाली एक रिटर्न फ्लाइट से सलाना 1.68 टन Co2 का उत्सर्जन होता है. 

ऐसे में हमें भरसक कोशिश करनी चाहिए कि हम अपनी यात्रा को पर्यावरण के अनुकुल कर लें. हो सके तो प्लेन की जगह ट्रेन की सवारी करें.

वेज को नॉनवेज पर तवज्जो

वेज और नॉनवेज के धार्मिक बहसों से हमें बचना चाहिए. लेकिन, इसके वैज्ञानिक और खासतौर पर पर्यावरणीय बिंदुओं पर जरूर ध्यान देनी चाहिए. हम जो भी खाते हैं उसका कार्बन फुटप्रिंट तैयार होता है.

दुनिया भर में Co2 के उत्सर्जन का एक चौथाई हिस्सा मीट इंडस्ट्री से होता है. 1 किलो बीफ की पैदावार में 60 किलो ग्रीन हाउस का उत्सर्जन होता है. 1 किलो चिकन में 6 किलो ग्रीन हाउस गैसों का और 1 किलो मटन में 1 किलो ग्रीन हाउस का उत्सर्जन होता है.

ऐसे में हम नॉनवजे पर वेज को तवज्जो देकर भी कार्बन का उत्सन कम कर सकते हैं.

खाने की  बर्बादी रोकिए

शादी, पार्टी, रेस्ट्रॉ या किसी भी बड़े आयोजन में हम देखते हैं कि खाने की बर्बादी खूब होती है. वहीं कई बार हम घरों में भी देखते हैं कि लोग खाने की बर्बादी कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया भर में उगने वाला एक तिहाई भोज्य पदार्थ बर्बाद हो जाता है.

एक तो भोजन की बर्बादी और दूसरा फेंका हुआ सामान लैंडफिल में जैसे ही जाता है तो वहां सड़ता है. इससे मीथेन जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं. इससे हमारा पूरा पर्यावरण प्रदूषित होता है.

ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं

पौधों को लगाकर हम अपने आसपास हरियाली करके पर्यावरण को शुद्ध कर सकते हैं. दूसरी तरफ पौधे लगाने से हम कार्बन के उत्सर्जन के प्रभाव को भी  कम कर सकते हैं. आजकल तो कई लोग अपने छतों पर और बालकनी में पौधे लगा रहे हैं. इसमें ऐसे भी पौधे हैं जिनसे उन्हें मुनााफा भी हो रहा है. इस तरह एक पंथ दो काज हो जा रहे हैं. इसलिए पौधों को लगाने पर ध्यान देने की जरूरत है.

कपड़ों के इस्तेमाल पर सोचें

पहले कपड़ों को सालों साल पहना जाता था. अब कपड़े के री-यूज का चलन भी धीरे-धीरे कम हो रहा है. रिसर्च के मुताबिक़ कपड़े दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन का 10% हिस्सा होते हैं. 

ऐसे में हम कपड़ों को लेकर थोड़े कीफायती हो जाएं. उन्हें लंबे समय तक चलाने लगें. उनके री-यूज को लेकर प्रयोग करने लगें तो हम अपने पर्यावरण को शुद्ध करने में बड़ा सहयोग दे सकते हैं.

पानी की बर्बादी न करें

ऐसा देखा जाता है कि लोग नलों को खुला छोड़कर चले गए हैं. या फिर किसी जगह जबरदस्ती पानी की बर्बादी कर रहे हैं या होता देख रहे हैं. ऐसे में हमें पानी बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरते है. इससे  हम अपने पर्यावरण को एक मज़बूत सहारा दे सकते हैं.

अपने वाहनों की सर्विसिंग कराते रहें

कई बार देखा गया है कि वाहनों में से धुआं निकल रहा है. हम उसी तरह उसे चलाते रहते हैं. इससे निलने वाले धुएं हमारे पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं. ऐसे में हम अपने वाहनों के सिर्फ़ समय के साथ-साथ सर्विस कराते रहें तो हम प्रदूषण को रोक सकते हैं.

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