
Sad Hindi Shayari Status | सैड शायरी स्टेटस हिन्दी में
मैं खुद ही अपने में अजनबी ठहरा भला कोई पहचानेगा भी तो कैसे भूल ही गए हम तो कबका खुद को कुछ भी तो नहीं रहा पहले जैसे की हम खिलखिलाते भी थे या यूं ही बस बेजान थे उम्र यूं ही ढली या कोई अरमान थे बस चलते रहते है आंखे खुली ओठों पर रहती है सिलाई क्या याद है कुछ आखिरी बार कब खिलखिलाई थी कितना खुशी होती अगर वो सब फिर लोट आता अब तो दिल का करने में भी संकोच आता है जो था बहुत हसीन था पहले जैसा कुछ नही रहेगा इतना तो यकीन था कुछ पल शायद और जी लेते कंधो पर बोझ नहीं जिंदगी से सब कुछ कहते कभी किसी की खिड़की की ओर देखते कभी छत पर पड़ोसी के छत पर धूप सेकते दोपहर का खाना हो या शाम को कहीं जाना हो रोड पर चलकर गाड़ियों को रोकते अब तो खुदको ही भूल गए है जिम्मेदारी की वसूल जो बड़े है बस मायूसी की आदत है हम खुद है या तारीखों का कागज है सर उठा कर बात करने का वक्त नहीं भूल गए हम खुद को कहीं बस जिंदगी के दिन जी रहे है सबूत को छोड़ कर चिथड़े सी रहे है।
ज़िन्दगी हैं नादान इसलिए चुप हूँ,
दर्द ही दर्द सुबह शाम इसलिए चुप हूँ
कह दू ज़माने से दास्तान अपनी,
उसमे आएगा तेरा नाम इसलिए चुप हूँ
मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं,
जगती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं,
जरुरी नहीं के ग़म में आँसू ही निकले,
मुस्कुराती आँखों में भी शैलाब होते हैं।
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हमने,
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने,
हमें मालूम है क्या चीज़ है मोहब्बत यारो,
घर अपना जला कर किये हैं उजाले हमने।
आपके बिन टूटकर बिखर जायेंगे,
मिल जायेंगे आप तो गुलशन की तरह खिल जायेंगे,
अगर न मिले आप तो जीते जी मर जायेंगे,
पा लिया जो आपको तो मर कर भी जी जायेंगे।
इस दिल को किसी की आस रहती है,
निगाहों को किसी सूरत की प्यास रहती है,
तेरे बिना किसी चीज़ की कमी तो नही,
पर तेरे बेगैर जिन्दगी बड़ी उदास रहती है..
वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो।
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो।
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको।
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो।
नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली,
तेरी महफ़िल में हर एक को हँसता देखा,
एक मैं था जिसे हँसने की इजाज़त न मिली।
मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ए गम
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते।
जादू है उनकी हर एक बात मैं,
याद बहुत आती है दिन और रात मैं ||
कल जब देखा था सपना मैने रात मैं,
तब भी उनका ही हाथ था मेरा हाथ मैं ||
जिस शाम बरसते है तेरी याद के बादल,
उस वक्त कोई भी हिजर का तारा नहीं होता ||
यु ही मेरे पहलु मैं चले आते हैं अक्सर,
वो दर्द जिन्हे मैने कभी पुकारा नहीं होता ||
जिंदगी मैं दो चीज खास है ||
एक वक्तऔरदूसरा प्यार,वक्त किसी का नहीं होता,
औरप्यार हर किसी से नहीं होता ||
तेरा उल्फत कभी नाकाम न होना देंगे,
तेरी दोस्ती कभी बदनाम न होना देंगे ||
मेरी ज़िंदगी मैं सूरज निकले या न निकले,
तेरी ज़िंदगी मैं कभी शाम न होने देंगे ||
तेरी बेरूखी ने ये क्या सिला दिया मुझे
ज़हर गम-ए-जुदाई का पिला दिया मुझे
बहुत रोया बहुत तड़पा कई रातों तक मैं
पर तुमने एक कतरा भी आँसू नहीं दिया मुझे
रि श्तों में इतनी बेरुख़ी भी अच्छी नहीं हुज़ूर..
देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे..!
“कभी ऐसी भी बेरुखी देखी है तू ने,
ऐ मेरे प्यारा सा दिल…”?”
लोग अक्सर आप से तुम, तुम से जान,
और जान से अनजान हो जाते हैं…!!!”?
जिंदगी क्यो इतनी बरुखी कर रही है
हम कोैन सा यहा बार-बार आने वाले है
बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी ,
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी !
खड़ा किसी कोने पे देखता हूँ खुद को और सामने मेरे वो जमाना याद आता है,
खोकर होश अपना जो देखा था हमने नजरे चुराकर,
मौसम-ए-बेरुखी में भी उस क़यामत का मुस्कुराना याद आता है,
सारा दिन जलते सूरज को हम डूबाते थे उस छिछली सी नदी के पानी में,
भुला दिया शायद तुमने उसको भी मुझे तो आज भी वो ठिकाना याद आता है,
ये तेरी बेरुख़ी की हम से आदत ख़ास टूटेगी,
कोई दरिया न ये समझे कि मेरी प्यास टूटेगी,
तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है,
कि जिस दिन साँस टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी.
अब शायद उसे किसी से मुहब्बत ज़ुरुर हो ।
मैं छीन लाया हूँ उस से उम्र भर की बेरुख़ी
शिकायत न करना किसी से बेरुखी की.
इंसान की फितरत ही होती है.
जो चीज़ पास हो उसकी कद्र नही करता.!
फेर कर मुंह आप मेरे सामने से क्या गये,
मेरे जितने क़हक़हे थे आंसुओं तक आ गये ,
भला ऐसी भी सनम आख़िर बेरुख़ी है क्या ?
न देखोगे हमारी बेबसी क्या…….?
तेरी बेरुखी ने छीन ली है
शरारतें मेरी और लोग समझते हैं
कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें,
हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें,
मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी,
क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं.
काश एक दिन ऐसा भी आए;
वक़्त का पल पल थम जाए;
सामने बस तुम ही रहो;
और उमर गुज़र जाए.
वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो,
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो,
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको,
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो.
दुख का समा मुझे घेर लेता है,
जब तेरी याद में ये पल भर के लिए होता है,
ना जाने कब वो दिन आएगा,
जब हर पल इस ज़िन्दगी का तेरे साथ गुजर जाएगा.
मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही,
ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही,
जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है,
मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही.
जान से ज्यादा प्यार उन्हें किया करते थे;
याद उन्हें दिन रात किया करते थे;
अब उन राहों से गुज़रा नहीं जाता;
जहाँ बैठकर उनका इंतजार किया करते थे.
दर्द को दर्द अब होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है.
प्यार किया तुझको दिलोजान से,
इस दिल में तुमको इस कदर बसा लिया,
भुला ना पाया है ये दिल तुझको आज तक,
लेकिन तुमने तो इसे दुख के आंसू रुला दिया.
दिल मे आरज़ू के दिये जलते रहेगे,
आँखों से मोती निकलते रहेगे,
तुम शमा बन कर दिल में रोशनी करो,
हम मोम की तरह पिघलते रहेंगे.
किसी की चाहत पे ज़िंदा रहने वाले हम ना थे;
किसी पर मर मिटने वाले हम ना थे;
आदत सी पड़ गयी, तुम्हे याद करने की;
वरना किसी को याद करने वाले हम ना थे.
सामने मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना,
जो मन मे हो वो ख़्वाब ना तोड़ना,
हर कदम पर मिलेगी सफ़लता,
बस आसमान छूने के लिए जमीन ना छोड़ना.
आती है तेरी याद अंधेरे की तरह,
उदास करती है मुझे गम की तरह,
मुझे तो अब बस उस दिन का इंतजार है,
जब तू आएगी मेरी ज़िन्दगी में सवेरे की तरह.
माना कि तू नहीं है मेरे सामने
पर तू मेरे दिल में बसता हैं,
मेरे हर दुख में मेरे साथ होता है,
और हर सुख में मेरे साथ हसता है.
चेहरे पर हँसी छा जाती है,
आँखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
अपने आप पर ग़ुरूर आ जाता है.
दुख भरी मेरी ज़िन्दगी को उसने
खुशियों से भरी जन्नत बना दिया
खुदा ने सुनी मेरी ऐसी पुकार
मेरे दोस्त को मेरी मांगी हुई मन्नत बना दिया.
कितना बुरा लगता है
जब बादल हो और बारिश ना हो,
जब आंखे हो और ख़्वाब ना हो,
जब कोई अपना हो और कोई पास ना हो।”
मुझे जिस चिराग से प्यार था…
मेरा सब कुछ उसी ने जला दिया…
निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से, भीगे कागज़ की तरह,
न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के।
हम तो नरम पत्तों की शाख़ हुआ करते थे,
छीले इतने गए कि “खंज़र ” हो गए…
वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला,
बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए।
निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला की…
हर वह शख्स अकेला है, जिसने मोहब्बत की है!
अब मोहब्बत नहीं रही इस जमाने में,
क्योंकि लोग अब मोहब्बत नहीं मज़ाक किया करते है।
अगले जिंदगी में मेरी जिंदगी बनकर आना,
इस जिंदगी में तो जिंदगी को छुकर गये थे।
थोड़ी-सी तो जिंदगी है,
क्या तेरा रूठ जाना जरूरी था।
अगर तूने मुझे हजारों में चुना है तो सुन,
हम भी तुम्हें लाखों की भीड़ में खोने नहीं देंगे
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह…
मगर खामोश रहता हूँ मैं अपनी तकदीर की तरह…
दफा हो जाओ अब तुम मेरी जिंदगी से…
मैंने यादों से मोहब्बत करके तुझे भुला दिया है…
देख कर मेरा नसीब मेरी तकदीर रोने लगी…
लहू के अल्फाज देखकर तहरीर रोने लगी…
इस इश्क में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई…
सूरत को देखकर खुद तस्वीर रोने लगी…
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