हम में से कई सारे लोगों को लगता हैं की हमारा जीवन पूरा नहीं हैं । कभी हमारी निज़ी ज़िन्दगी अच्छी होती है तो प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी बिगड़ जाती हैं और कभी प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी अच्छी होती हैं तो निजी ज़िन्दगी ख़राब हो जाती हैं ।

हम में से कई सारे लोगों को लगता हैं की हमारा जीवन पूरा नहीं हैं । कभी हमारी निज़ी ज़िन्दगी अच्छी होती है तो प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी बिगड़ जाती हैं और कभी प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी अच्छी होती हैं तो निजी ज़िन्दगी ख़राब हो जाती हैं ।

हम में से कई सारे लोगों को लगता हैं की हमारा जीवन पूरा नहीं हैं । कभी हमारी निज़ी ज़िन्दगी अच्छी होती है तो प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी बिगड़ जाती हैं और कभी प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी अच्छी होती हैं तो निजी ज़िन्दगी ख़राब हो जाती हैं ।

एक बार की बात हैं एक बंदा अपने घर की बालकॉनी में हर शाम चाय पिया करता था । और उस बालकॉनी से देखा करता था की उसके घर के बाजु में एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था । तो वहाँ जो मज़दूर रहां करतें थे । उनके बच्चे भी, कॉलोनी के बच्चे भी सब मिल करके ख़ेल खेला करतें थे । रेल - रेल का ख़ेल खेला करतें थे । तो कुछ बच्चे थे वो जो कोच होते हैं वो बनते थे, डिब्बें बनते थे रेल गाड़ी के । एक बच्चा इंजन बनता था । लेकिन एक बच्चा था जो रोज़ाना उस रेल - रेल के ख़ेल में पीछे गॉर्ड वाला डब्बा बनता था ।
एक दिन जो ये भाई साहब चाय पिया करतें थे बालकॉनी में तो वो सोचे की क्यों न उससे बात किया जाएँ । उतर करके उसके पास गए बोले बेटा इधर आना । तम्हारा कभी मन नहीं करता की तुम रेल में इंजन बनो या डब्बा बनो । रोज़ाना तम्हे पीछे लगा दिया जाता है । गॉर्ड बन जाते हो । तो उस बच्चे ने जो ज़बाब दिया अब वो जरा ध्यान से पढ़िएगा । उस बच्चे ने कहाँ की “ अंकल मेरे पास में ! आपने बात बहुत अच्छी कहीं लेकिन मेरे पास में पहननें के लिए टी-शर्ट या शर्ट नहीं हैं । और अगर मेरे पास में टी-शर्ट या शर्ट नहीं होगी और मैं इंजन बन जाऊंगा या डिब्बा बनूंगा तो बाकि पीछे वाले बच्चे मुझे पकड़ेंगे कैसे ? ये ख़ेल कैसे चलेगा इसिलिए मैं रोज़ाना ये पुराना सा कपड़ा घुमाते - घुमाते गॉर्ड बन जाता हूँ । “ 
ये छोटी सी कहानी हमे बहुत बड़ी बात बताती हैं । ज़िन्दगी कभी भी किसी की भी पूरी नहीं होती । वो बच्चा चाहता तो ख़ेल ही नहीं खेलता । उन बच्चो से दूर उदास होकर के बैठ जाता । लेकिन वो हर शाम में खुश होता था । हिस्सा बनता था ख़ेल का और उसे बड़ा मज़ा आता था । 
ये कहानी हमे बताती हैं की हम कितना रोते हैं अपनी ज़िन्दगी में कभी रंग के लिए, कभी लम्बाई के लिए, कभी पैसे के लिए, कभी सुख के लिए । ज़िन्दगी कभी भी किसी की पूरी नहीं होती हैं । जैसी ज़िन्दगी मिली है उसके साथ में आपन आपको निखारना शुरू कीजिए ।

Massage (संदेश) : आशा है की "हम में से कई सारे लोगों को लगता हैं की हमारा जीवन पूरा नहीं हैं । कभी हमारी निज़ी ज़िन्दगी अच्छी होती है तो प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी बिगड़ जाती हैं और कभी प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी अच्छी होती हैं तो निजी ज़िन्दगी ख़राब हो जाती हैं ।" आपको पसंद आयी होगी। कृपया अपने बहुमूल्य सुझाव देकर हमें यह बताने का कष्ट करें कि Motivational Thoughts को और भी ज्यादा बेहतर कैसे बनाया जा सकता है? आपके सुझाव इस वेबसाईट को और भी अधिक उद्देश्यपूर्ण और सफल बनाने में सहायक होंगे। आप अपने सुझाव निचे कमेंट या हमें मेल कर सकते है!
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