
किसी महान ने बड़ी सही बात कहीं हैं की - " दो मिनट की शोहरत के पीछे आठ घंटे के कड़ी मेहनत होती हैं !! "
एक बार की बात हैं एक कमल का इंसान बड़ी मेहनत करता था । बड़ा आमिर था । बड़ा व्यापारी था । लेकिन उसका बच्चा जो था वो उतना ही आलसी, उतना ही अय्याश था । पापा जितनी महेनत करते कमा कर लाते बेटा मौज मस्ती में सब उड़ा देता । इस बात से वो परेशान था इन्सान । उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करे बेटे के साथ । एक दिन उसने कुछ विचार सोचा और बेटे को बुलाया और कहाँ की देखो बात ऐसी है की आज तम्हे कार्य दे रहें हैं । तम्हे जाना है बाज़ार में, नौकरी करो, मज़दूरी करो या कुछ भी करो महेनत करो कमा करके लाओ पैसा । अगर तुम शाम में पैसा कमा करके नहीं लाए तो आज से तम्हारा घर में रहना बंद । इस घर में तम्हारे लिए " प्रवेश निषेध " हो जाएगा ।
बच्चा डर गया पापा ने धमकी दी । पहली बार डॉट - डपट लगाई समझ में नहीं आ रहा था की क्या करें । रोटा - रोटा माँ के पास गया और बोला मम्मी पापा तो पीछे पढ़ गए हैं मेरे । माँ ममता से भरी हुई माँ ने बच्चे को सोने का सिक्का निकाल कर के दिया । जा ! आज शाम को पापा को ये दे देना । मैं नहीं कहूँगी । शाम में पापा आए अपने बिज़नेस से लौट करके और पूछा की क्या रहा आज का । तो बेटे ने झट से सोने का सिक्का निकाल कर के दे दिया, पापा आज की कमाई । पापा जो थे बात समझ गए की क्या हो रहा हैं । बेटे से कहाँ की बहार जाओ । बगीचा में जाकर के कुआँ जो है उसमे ये सिक्का फेंक दो । बच्चा गया बहार जाकर के पापा का आदेश था । आदेश का पालन किया और कुएं में सिक्का जाकर के फेंक दिया । अगले दिन फिर से ये बात कही बेटे को और कहाँ की बेटा फिर से आज तम्हें मेहनत करनी हैं । शाम ने कमा करके लाना हैं । इस सब के बिच में पिता जो था वो समझ गया था की हो क्या रहा हैं । तो उसने अपनी पत्नी, यानि लड़के की माँ को पीहर भेज दिया । अब बेटे को समझ नहीं आया अब माँ तो चली गईं हैं अब क्या किया जाएँ । बेटा रोटा हुआ दीदी के पास गया । दीदी को जाकर के कहाँ की पापा तो पीछे पढ़ गए हैं । मम्मी को नाना के यहाँ भेज दिया हैं । और मेरे पीछे पढ़े हैं कह रहें हैं की कुछ कमा करके लाओ । दीदी भाई के लिए रक्षा बंधन का प्यार याद आ गया । दीदी ने ५०० रूपए दिए । शाम में वही सवाल जबाब हुआ । बेटे ने ५०० रूपए निकाल करके पापा को दिया । पापा ने कहाँ जाओ बहार, बहार जाकर के कुएं में फ़ेंक दो । लड़का ने वही किया । इस बार जो ये व्यक्ति था उसने अपनी बेटी को ससुराल भेज दिया ।
अब लड़के के पास में विकल्प ख़त्म हो गए । तीसरे दिन फिर से कहाँ की जाओ मेहनत करो और पैसे कमा करके लाओ । कोई विकल्प नहीं बचा तो लड़का आखिरकार बाज़ार में निकला । नौकरी तो मिलती नहीं आसानी से । एक दुकान पर काम मिल गया । दुकानदार ने कहाँ भाई ट्रक से सामान उतारना है । यहाँ सामान उतारो और दुकान के अन्दर रख दो । लड़के ने वही किया । शाम में जब वो काम करके थका हरा वो आमिर इंसान जिसने कभी काम मज़दूरी की नहीं । हालत ख़राब १०० रूपए उस दुकानदार ने दिए । बोले इतने ही मिलेंगे । घर पहुँचा । पापा बिज़नेस से आएँ । सवाल किए की क्या रहा आज़ का तो बेटे ने कहाँ - पापा १०० रूपए कमाएँ हैं । जैसे ही उसने पापा के हाथ में १०० रूपए रखा । पापा ने वापस दिया और कहाँ की जा बहार और कुएं में जाकर के फ़ेक दो । बेटे को इस बार गुस्सा आ गया । बोला पापा क्या करवा रहें हो । कमर टूट गई हैं । हालत ख़राब हो रही है । हाथ दर्द कर रहे हैं । पहली बार मैंने अपनी ज़िन्दगी में बोरियाँ उठाई हैं । और आप कह रहे हो १०० रूपए फ़ेंक दो तो पिता ने वो बात समझाई की यही होता हैं जब आप मेहनत करते हैं उसका फ़ल इस तरीके से बेकार होता है तो बुरा लगता हैं । मेहनत करना सबसे ज़रूरी हैं ।
आज़ की पीढ़ी में, आज़ के वक़्त में कईं सारे लोग सामाजिक मीडिया में इतने व्यस्त हो गए हैं की भूल गए हैं की हमारे लक्ष्य क्या हैं । अगर आप भी अपने लक्ष्य से भटक गए हैं तो याद कीजिए और मेहनत में जुट जाईए ।
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