
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का संघर्ष
आज नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी बॉलीवुड का एक जाना माना नाम है लेकिन क्या आपको पता है इसके पीछे की दर्दभरी दास्ताँ। वो कहते है ना कि कर्म करते जाओ और फल की इच्छा मत कर, ये कहावत इस कमाल के कलाकार ने सिद्ध कर के दिखाई।इन्होने अपने अभिनय से ना सिर्फ दर्शकों का दिल जीता बल्कि हर एक शख्स को कामयाब होने का राज़ भी सिखाया।नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी जी ने अपना जीवन बड़ी ही संघर्ष से गुज़र कर व्यतीत किया है और उनकी कहानी काफी ज्यादा लोगो को प्रोत्साहित करती है। हालांकि हर किसी की अपनी कहानी होती है और हर किसी की ज़िन्दगी में कामयाबी हासिल करने के लिए अलग दर्द भी होते है लेकिन नाज़ुद्दीन की मेहनत और लगन भी कमल की रही और तो और वो उन लोगो में से आते है जो सपने देखकर उन्हें साकार करने की मेहनत करने की हिम्मत रखते है। और इसी लिया दोस्तों आज मैं इस कहानी को वेबसाइट के ब्लॉग के motivational कहानियों मैं जोड़ रहा हूँ। और मुझे आसा है इसको पढ़ने के बाद आप मैं भी थोड़ा जूनून आये और आप में भी अपने सपने को लेकर और भी प्रोत्साहित हो जाये।
तो आईये जानते है कैसे बनाया नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने बॉलीवुड में अपना बड़ा नाम बनाने और क्या क्या सहना पड़ा इन्हे इस मुकाम पर आने के लिए:
- नवाज़ुद्दीन UP के मुज़्ज़फरनगर के एक छोटे से गाँव बुढ़ाना से है। ये 7 भाई और 2 बहने है। एक इंटरव्यू में इन्होने बताया था कि इनके गाँव में खेती के इलावा ज़्यादा कुछ करने को था नहीं। वहां गुंडागर्दी बहुत थी और लोग छोटी-छोटी बातों पर तमंचा निकाल लेते थे। बस इसी वजह से इन्होने गाँव छोड़कर बाहर शहर में पढ़ने की सोची।
- चूँकि इनके परिवार की आमदनी ज़्यादा नहीं थी, इन्हे पढाई के साथ काम भी करना पड़ता था।इन्होने कई छोटी छोटी नौकरियां भी की।
- नवाज़ुद्दीन को एक खिलोनो की फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिली थी। वहां इन्हे 12 घंटे खड़े रहकर पहरा देना होता था। एक बार पहरा देते वक़्त धुप बहुत थी तो इन्होने सोचा कि 10 मिनट के लिए पेड़ की छांव में खड़े हो जाऊ। इसी बीच इन्हे फैक्ट्री के मालिक ने देख लिए और उसी वक़्त नौकरी से निकाल दिया। इन्हे अपने काम की तनख्वाह भी नहीं दी थी।
- फिर नवाज़ुद्दीन ने एक्टिंग सीखने के लिए दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिला ले लिया। आपको बता दे कि इस एक्टिंग स्कूल में दाखिला लेना बहुत मुश्किल है। सिर्फ जिन्हे अच्छी एक्टिंग पहले से आती है, उन्हें ही एडमिशन दी जाती है। अनुपम खेर, ओम पूरी और नसीरुद्दीन शाह जैसे दिज्जग कलाकारों ने इसी स्कूल से अपनी एक्टिंग को निखारा। 1996 में नवाज़ुद्दीन ने इस स्कूल से सीख कर काम करना चाहा लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली।
- 3 साल और छोटी-मोटी नौकरियां करने के बाद नवाज़ुद्दीन ने हार मान ली और अपना सामान बांध कर घर जाने ही वाले थे कि 1999 उन्हें एक फिल्म में छोटा सा रोल करने का ऑफर मिला। वो रोल शूल फिल्म में महज़ 2 सेकंड का। इस 2 सेकंड के रोल में उन्हें वेटर बनना था। इस फिल्म में मनोज बाजपाई और रवीना टंडन मुख्य किरदार में थी।
- इसके बाद भी इन्हे बॉलीवुड की फिल्मो में छोटे मोटे रोल ही मिले जैसे मुन्नाभाई MBBS में चोर का, सरफ़रोश फिल्म में भी एक गुंडे का। इसके बाद इन्हे जूनियर आर्टिस्ट के भी कई रोल मिले जिससे इन्हे बहुत कम पैसे मिलते थे।
- एक इंटरव्यू में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने बताया था कि कई बार जूनियर आर्टिस्ट के रोल के लिए भी इन्हे फिल्म के crew मेंबर्स रिश्वत देनी पड़ती थी। मतलब कि जूनियर आर्टिस्ट के रोल के लिए जो पैसे मिलते थे उसके आधे रिश्वत देने में ही निकल जाते थे।
- साल 2004 से लेकर 2012 तक नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने कई हिंदी फिल्मो में छोटे – मोटे किरदार निभाए। कई फिल्मे ऐसी थी जिनमे आपको नवाज़ुद्दीन की मज़ूदगी का एहसास भी नहीं हुआ होगा। ऐसी ही कुछ फिल्मे थी जैसे ब्लैक फ्राइडे (2004), न्यू यॉर्क (2009), पीपली लाइव (2010), मांझी और फिर उन्हें एक बड़ी कामयाबी मिली 2012 में Gangs of Wasseypur फिल्म से। इस फिल्म के बाद नवाज़ुद्दीन के अभिनय को एक नयी पहचान मिली।
- इसके बाद इन्हे कई बड़े और अच्छे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला। इसके बाद इन्होने कई शानदार फिल्मे की जैसे The Lunchbox, Kahani, Talash, Kick, Bajrangi Bhaijaan, Raees, MOM और कई अन्य फिल्मे। यकीनन और भी बहुत होंगे लेकिन जो जज्बा इस बन्दे ने दिखाया है ना, वो कमाल का है।
कई लोग सोचते है कि जो हैंडसम और स्मार्ट लोग होते है सिर्फ वही बॉलीवुड में नाम कमा सकते है लेकिन मैं उन सबको बता दू कि नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ना तो हैंडसम है, ना अच्छी कद काठी है, ना कोई बॉडी बनाई है और ना ही उन्हें अच्छी इंग्लिश आती है। इस दुनिया में अगर सक्सेस यानि कामयाबी पानी है तो चाहिए सिर्फ टैलेंट और वो आपको अपने भीतर खुद ही खोजना होगा। देर सवेर, वो आपको पता चल ही जाएगा।
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