
एक बार की एक बात है एक गुरूजी अपने शिष्य को लेकर के शहर जा रहे थे और चल रहे थे चलते चलते रस्ते में शाम हो गई। गुरु शिष्य ने सोचा की क्यों न कहीं रुका जाए, विश्राम किया जाए। थोड़ा आगे बढ़े तो एक बढ़ा सा खेत दिखाई दिया, खाली खेत, उसके बीचो बिच एक मकान था। वहां पहुंचे, आवाज़ दी, उस मकान का मालिक बाहर आया तो उससे बोले सबसे पहले तो पानी पीना चाहते है । पानी पिलाया गया । उससे पूछा की क्या ये खेत आपका है। बोले हा ये मेरा खेत है। उससे पूछा की परिवार में कौन कौन है? उस आदमी ने बताया की बीवी है, माँ है, बच्ची है । हम चार लोग है परिवार में सब ख़ुशी मंगल से चल रहा है । तो गुरु शिष्य दोनों क दिमाग में एक सवाल था दोनों ने पूछ लिया की ये जो खेत है वो तो खाली पड़ा है तो तुम ज़िन्दगी कैसे जी रहे हो तो उस आदमी ने बताया की हमारे पास एक भैस है वो दूध देती है सब कुछ सही चल रहा है कोई दिक्कत की बात नहीं है। हम खुश है । गुरु और शिष्य वहां रुके उन्होंने कहाँ की हम रुकना चाहते है। कल सुबहः निकल जाएंगे शहर जाना है । बड़ा लम्बा रास्ता है । बोले कोई बात नहीं रुक जाइए गुरूजी बड़ी अच्छी बात है आप आएं । रात्रि में जब ये दोनों विश्राम कर रहे थे तो बिच रात में गुरूजी ने आपने शिष्य से कहाँ उठो उस भैस को वहां से लेकर के आओ, खोलो और लेकर के चलते है निकल लेते हैं । शिष्य ने कहाँ की गुरूजी पूरी ज़िन्दगी आपने मुझे शिखाया की चोरी नहीं करनी हैं । गलत बात होती हैं और आज आप मुझसे ये इतना बड़ा पाप करवा रहे हैं । उसने कहा जो कह रहा हूँ वो करो । गुरु की बात शिष्य को माननी पड़ी । भैस को वहां से खोला उसको लेकर चल दिया थोड़ा आगे बढे रात में थोड़ा दूर जाकर के उसको छोड़ दिए ।
शहर पहुँच गए । शिष्य आपने काम धंधो में लग गया और गुरूजी अपनी ज़िन्दगी जीने लगे । दस - बारह साल बीत गए । लेकिन शिष्य के मन में एक गिल्ट रही की मेरे गुरु ने मुझसे इतनी बड़ी चोरी करवा दी इतना बड़ा पाप करवा दिया । एक इन्सान जो अपनी ज़िन्दगी एक भैस की वजह से जी रहा था उसकी जीने की वजह उससे चुरा ली । वो गिल्ट में जीने लगा । एक व्यापारी बन गया, बड़ा व्यापारी था । बहुत पैसा वैसा कमा लिया उसने सोचा क्यों न इन पैसो का सही इस्तेमाल करता हूँ । उसकी मदद करता हूँ । इतनो सालो के बाद वो वापस उसी जगह पर पंहुचा लेकिन उसे वो जगह थोड़ी बदली-बदली सी लगी । बड़ा शानदार सा बगीचा बढ़ा शानदार सा माकन चारो तरफ खेत । फसल लैह-लहा रही है । सोचा की शायद वो आदमी तो चला गया होगा । उसकी ज़िन्दगी तो बर्बाद हो गई होगी । हो सकता हो की उसने वो खेत बेच कर के किसी और को खेत बेचा हो तो यहाँ पर ये बड़ा शानदार सा अगले बन्दे का बगीचा होगा तो उससे उसका पता ले लेते हूँ तो वहां जाकर के उसकी मदद करूंगा । अन्दर पहुँचा तो देखता हैं की वही आदमी वहां बैठा हुआ हैं । उसने पूछा की ये शानदार कमाल हुआ कैसे ? उसने कहाँ की अरे क्या बताऊ गुरूजी के साथ आप उस दिन आएँ थे और बड़ी बुरी किस्मत रही उसी रात को हमारी भैस चोरी हो गई । भैस चोरी होने के बाद हमने सोचा की सब कुछ लूट गया हैं । ज़िन्दगी बर्बाद हो गई क्या करे तो मैंने लकड़ी काट कर के बेचना शुरू किया । उसके बाद मुझे लगा की उससे तो जीवन यापन चलेगा नहीं । तो थोड़ा पैसा एकठा किया फिर खेत में बीज बोए फसल उगाना शुरी की फिर और फसल उगना शुरू किया । धीरे - धीरे हमारी कमाई बढ़ने लगी । भैस खरीद ली । बगीचा उगा लिया । वहां से हमारी ज़िन्दगी बदल गई । अगर उस रात को भैस चोरी नहीं हुई होती तो हम वैसे ही जी रहे होते जैसे पहले जी रहे थे । शिष्य को बात समझ में आ गई की गुरूजी ने उस दिन भैस चोरी करने के लिए क्यों बोला था ।
“ इंतज़ार करने वालो को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं । कई बार हम उसी ज़िन्दगी को जी रहे होते है जो ज़िन्दगी जीते आ रहे है और हमे लगता है की इससे आगे हमारी ज़िन्दगी में कुछ है ही नहीं । आप में वो काबिलियत है जो शायद किसी और में नहीं हैं । इसलिय आपसे कहता हूँ की कर दिखाओ कुछ ऐसा की दुनिया करना चाहे आपके जैसा । “
Massage (संदेश) : आशा है की "वो कहते है न इंतज़ार करने वाले को सिर्फ उतना मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है।" आपको पसंद आयी होगी। कृपया अपने बहुमूल्य सुझाव देकर हमें यह बताने का कष्ट करें कि Motivational Thoughts को और भी ज्यादा बेहतर कैसे बनाया जा सकता है? आपके सुझाव इस वेबसाईट को और भी अधिक उद्देश्यपूर्ण और सफल बनाने में सहायक होंगे। आप अपने सुझाव निचे कमेंट या हमें मेल कर सकते है!
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