एक सवाल मेरे ज़हन में बार - बार आता है की – “ एक ही वक़्त पर, एक ही मुहरत पर पैदा हुए लोगो का भाग्य और कर्म अलग - अलग कैसे हो सकता हैं की वो अलग - अलग काम कर रहें हैं !! “

एक सवाल मेरे ज़हन में बार - बार आता है की – “ एक ही वक़्त पर, एक ही मुहरत पर पैदा हुए लोगो का भाग्य और कर्म अलग - अलग कैसे हो सकता हैं की वो अलग - अलग काम कर रहें हैं !! “

एक सवाल मेरे ज़हन में बार - बार आता है की – “ एक ही वक़्त परएक ही मुहरत पर पैदा हुए लोगो का भाग्य और कर्म अलग - अलग कैसे हो सकता हैं की वो अलग - अलग काम कर रहें हैं !! “

एक बार की बात है एक राजा के ज़हन में भी यही सवाल आया । उन्होंने अपनी सभा में सरे विद्यवानो को बुलाया और पूछा मैं अपनी जन्म पत्री का देख रहां था उसमे मैंने देखा की मेरा राजा बनने का योग था । लेकिन मेरा सवाल ये है की उसी वक़्त में, उसी मुहरत में जब मैं पैदा हुआ । उसी वक़्त बड़े सारे बच्चे और पैदा हुए होंगे । लेकिन वो सब राजा क्यों नहीं बनें । ये सवाल सुन करके हर कोई चौंक गया । उनको समझ नहीं आ रहा था की क्या जबाब दें । तो एक ज्योतिष खड़े हुए बोले देखिये राजा साहब सवाल तो आपका बहुत अच्छा हैं । लेकिन इसका जबाब आपको मिलेगा यहाँ से कोसों दूर घने जंगल में एक महात्मा तपस्या कर रहें हैं उनके पास आप जाईए । राजा ने कहाँ ठीक हैं ।

राजा साहब गए । अकेले निकल गए घोड़े पर सवार होकर के जंगल के बीचों बिच पहुँचें तो देख रहें हैं की जो महात्मा थे वो आग में से अंगार निकल करके खा रहें हैं । यानि जो गरमा गर्म कोयला हैं वो उसे खा रहें थे । तो उन्हें समझ नहीं आया की बाबजी कर क्या रहें हैं । पहुँचें उनके पास में और जाकर के पूछा की बाबाजी मेरा सवाल ये था की एक ही वक़्त में जिस तरीके से बच्चे पैदा होतें हैं सब राजा क्यों नहीं बनें । महात्मा जो थे वो गुस्सा हो गए । वो बोले तम्हें इसका जबाब मैं नहीं दे सकता बोले और दूर जाओ झरने के पास में एक और महात्मा जो हैं वो तपस्या कर रहे हैं । वो तम्हें इस सवाल का जबाब देंगे । राजा साहब को क्योंकि सवाल का जबाब जानने की बड़ी उत्सुकता थी वो वापस से घोड़े पर सवार होकर के पहुँचे जंगल के और आगे । तो झरने के पास में देखते हैं जो एक महात्मा थे वो अपना ही मांस नोच करके खा रहें थे । राजा से ये दृश्य जो हैं वो देखा नहीं गया । फिर भी हिम्मत करके पहुँचे और बाबाजी से पूछा की एक ही वक़्त पर जो बच्चे पैदा हुए उनका एक जैसा भाग्य क्यों नहीं हैं । महात्मा को और गुस्सा आ गया बोले की मुर्ख इन्सान यहाँ से निकल जाओ । निकल जाओ और बहुत दूर चला जा वहां एक गाँव मिलेगा । उस गाँव में एक चार - पाँच साल का बच्चा मिलेगा । बच्चा मरने वाला हैं इससे पहले की वो मर जाए उससे अपने सवाल का जबाब माँग ले ।

राजा को समझ नहीं आया की ख़ेल चल क्या रहा हैं । दो महात्माओं से मुलाकात, अब तीसरे बच्चे से मिलना हैं जो की मरने वाला हैं । घोड़े पर सवार होकर के ये राजा फिर से पहुँचा और उस गाँव में पहुंचा जहाँ पर वो चार - पाँच साल का बच्चा था । देखा तो उसके मम्मी, पापा,परिवार सब लोग बैठे हुएँ हैं । वैद्य खड़े हैं । बच्चा लेता हुआ हैं तो उससे पूछा बच्चा से की मेरे एक सवाल हैं । दो बाबाजी ने कहाँ की आप ही ज़बाब दे सकतें हैं । तो बच्चा हस्ते हुएँ बोला की राजा ! मैं आपको बताना चाहता हूँ की वो जो दो महात्मा मिले और मैं जो हूँ, हम तीनो आपके भाई हैं । सात जन्म पहले हम राजकुमार थें । और एक बार जंगल में भटकते - भटकते दो तीन दिन हो गए । भूके - प्यासे घूम रहें थे । तभी हमें आते की पोटली मिली और हम चारो ने रोटियाँ बना ली, हम खाने ही वाले थे की एक बाबजी वहां आ गए । बाबाजी ने कहाँ की मुझे खाने के लिए एक रोटी दे दो । तो हमारे जो भैया सबसे बड़े जिन्हें आपने देखा की अंगार खा रहें थे । उन्होंने कहाँ की मैं तम्हें क्यों दू , तम्हें दूंगा तो मैं क्या खाऊंगा । दूसरे वाले जो थे उन्होंने कहाँ की मैं तम्हें रोटी नहीं दे सकता । अगर तम्हें रोटी दे दूंगा तो क्या मैं अपना माँस नोच कर के खाऊंगा । तीसरे वाले ने यानि मैं, मैंने कहाँ की भैया मैं नहीं दे सकता । मैं क्या खाऊंगा । मैंने भी उसको रवाना कर दिया । चौथे राजकुमार आप थे । आपने अपनी रोटी में से आधी रोटी उस व्यक्ति, वो जो बाबाजी थे उनको दे दिया । और उन्होंने आपको खुश होकर के कहाँ की तम्हें तम्हारे कर्म और व्यवहार के अनुसार ही आने वाले जन्म में फ़ल मिलेगा । इसिलिए आप आज़ राजा हैं और उन दो का हाल और मेरा हाल तो आप देख ही रहें हैं ।

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