रोम क्या है और इसका क्या यूज़ कैसे करे| What is ROM and How to Use it

रोम क्या है और इसका क्या यूज़ कैसे करे| What is ROM and How to Use it

रोम क्या है और इसका क्या यूज़ कैसे करे 

ROM का पूरा नाम Read Only Memory होता हैं।अर्थात इसका डाटा केवल Read किया जा सकता हैं। समे नया डाटा जोड नही सकते हैं।क्योंकि इसे Manufactures द्वारा ही एक बार Write करके दिया जाता हैं। 

ROM में Computer Functionality से संबंधित निर्देश स्टोर किया जाते हैं।जिसमे कम्प्युटर को चालु करना भी शामिल हैं।इसे ‘Booting‘ कहा जाता हैं. कम्प्युटर के अलावा Washing Machines, Microwave Ovans एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी ROM द्वारा ही Programed किया जाता हैं। 

ROM एक Non-Volatile Memory होती है। मतलब इसमे स्टोर डाटा हमेशा के लिए उपलब्ध रहता हैं।Power Off होने पर भी डाटा डिलिट नही होता हैं. यह भी कम्प्युटर की प्राथमिक मेमोरी ही होती हैं। 

ROM की विशेषताएँ

चलिए अब ROM की विसेश्ताओं के ऊपर गौर करते हैं।

•  ROM एक स्थायी मेमोरी या permanent memory होती हैं। 

•  इसमें Computer की सभी Basic Functionality के निर्देश को स्टोर किया जाता है। 

•  ROM केवल Readable होती हैं. मतलब की इसमें स्तिथ information को केवल read किया जा सकता है। 

•  कीमत की बात करें तब ROM, RAM की तुलना में सस्ती होती हैं। 

•  ROM बहुत ही कम उर्जा का इस्तमाल करते हैं वहीँ वो बहुत ही ज्यादा reliable होते हैं।

ROM के प्रकार :

ROM 4 प्रकार के होते हैं जो कि इस प्रकार हैं-

1. PROM-(PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY) 
2. MRON-(MASKED READ ONLY MEMORY) 
3. EPROM-(ERASABLE AND PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY) 
4. EEPROM-(ELECTRICALLY ERASABLE AND PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY)
5. EAROM-(ELECTRIC ATERABLE READ ONLY MEMORY)

1.PROM-(PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY):

यह एक ऐसा ROM है जिसको हम एक बार चेंज करके अपडेट कर सकते हैं फिर उसको हम कभी अपडेट या चेंज नहीं कर सकते हैं। होता क्या है कि इसमें कुछ छोटे-छोटे फ्यूज होते हैं जिनके अंदर programming के जरिए Instruction डाले जाते हैं फिर इसको एक बार programmed करने के बाद दोबारा से Erase नहीं कर सकते हैं।

यह डिजिटल मेमोरी IC की तरह होती है और इसका उपयोग CRT मोनीटर में किया जाता है। यह एक परमानेंट टाइम प्रोग्राम है और इनमें स्टोर किया हुआ डाटा भी परमानेंट होता है। यह अधिकतर बिजली से चलने वाले डिवाइस में होती है।

2.MROM-(MASKED READ ONLY MEMORY):

इस ROM का पहले बहुत प्रयोग होता था लेकिन अब कोई इसे प्रयोग नहीं करता है यह read only memory hard wired devices है जिसमें से पहले से pre-programmed data और instruction store किया जाता है। उस समय में इस प्रकार के मेमोरी बहुत महंगे होते थे लेकिन आज के समय में ये कहीं नहीं मिलते हैं।

3.EPROM-(ERASABLE AND PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY):

यह एक ऐसी चिप है जो कंप्यूटर के बंद होने के बाद कंप्यूटर के डाटा को स्टोर करती है। इसका प्रयोग P.C.O. कंप्यूटर, TV Tunar में किया जाता है। इसमें डाटा को लेजर की मदद से डाला और मिटाया जाता है। इस ROM की खास बात ये है की इसे हम आसनी से erase भी कर सकते हैं और प्रोग्राम भी कर सकते हैं।

लेकिन इस मेमोरी को erase करने का तरीका काफी अलग है जिसमें इस मेमोरी को लगभग 40 मिनट तक Ultra Violet light से पास किया जाता है तब यह मेमोरी खाली होती है। इस काम को प्राप्त करने के लिए “EPROM Eraser” का भी प्रयोग किया जाता है।

प्रोग्रामिंग करते समय इसके भीतर चार्ज को डाला जाता है जो लगभग दस सालों से भी अधिक तक रखा जाता है क्योंकि चार्ज को बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं होता है इसलिए वह उस मेमोरी के अंदर रह जाता है। इसी चार्ज को Erase करने के लिए अल्ट्रा Violet Light को Quartz Crystal Window के माध्यम से पास किया जाता है। इस लाइट के प्रभाव से ही सब चार्ज Erase हो जाता है।

EPROM के लाभ :

यह बहुत ही सस्ता है। इसे दुबारा प्रोग्राम किया जा सकता है। जब पॉवर सप्लाई नहीं होती है तब भी यह डेटा को Retain किए रहता है। इसमें टेस्टिंग और डिबगिंग किया जा सकता है।

EPROM की हानियाँ :

EPROM में प्रयोग किए जाने वाले ट्रांजिस्टर का प्रतिरोध बहुत उच्च होता है। इसमें बिजली की खपत ज्यादा होती है। इसमें डेटा को मिटाने के लिए पराबैंगनी प्रकाश की आवश्यकता होती है और इसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल से इरेज नहीं किया जा सकता। इसमें EEPROM की तरह किसी विशेष बाइट को इरेज नहीं किया जा सकता है यानि इसमें सभी डेटा इरेज हो जाता है। EPROM में डेटा को मिटाने तथा दुबारा प्रोग्राम करने के लिए इसे कंप्यूटर से निकालना पड़ता है। इसमें प्रोग्रामिंग बहुत ही धीमी होती है। PROM की तुलना में इसकी कीमत ज्यादा है।

4.EEPROM-(ELECTRICALLY ERASABLE AND PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY):

जब-जब Technology में बदलाव हुआ तब-तब ROM को भी चेंज करने की जरुरत पड़ी इसकी वजह से इसी मेमोरी का प्रयोग हुआ क्योंकि इससे हम 10 हजार बार erase कर सकते हैं और programmed भी कर सकते हैं। इसमें कंप्यूटर के बंद होने के बाद कुछ साइज का डाटा स्टोर होता है। यह कंप्यूटर के मदरबोर्ड से जुड़ा होता है। इसका काम कंप्यूटर को ऑन करना होता है।

यह टयूब लाइटर स्टार्टर की तरह काम करती है। इसमें आप किसी डाटा को रीड कर सकते है, उसे मिटा सकते है या फिर आप उसे दुबारा भी लिख सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको बाइट ( BYTE ) से सिग्नल देने होते है। आजकल ROM में थोड़े बड़े साइज के डाटा को स्टोर करने के लिए कुछ अलग तरह की EEPROM का इस्तेमाल भी होता है। इसका एक लिमिटेड टाइम होता है।

ROM काम कैसे करता है-

ROM एक चिप के आकार की होती है जो कि motherboard और CPU से जुड़ी हुई रहती है ROM का कार्य एक storage के रूप में किया जाता हैं इसके अंदर हम कुछ भी डाटा सेव कर सकते हैं जैसे कि software और application , apps , डॉक्यूमेंट आदि यह एक permanent storage device है ROM से हम कभी भी कुछ भी डाटा या वीडियो, ओड़िया फ़ाइल डायरेक्ट access कर सकते हैं इसके अन्दर हम सॉफ्टवेयर को install करके भी रख सकते हैं ROM हमारे कंप्यूटर या मोबाइल की booting process और सिस्टम को स्टार्ट करने में हमारी मदद करता हैं यह एक हमारे कंप्यूटर या मोबाइल का महत्वपूर्ण हिस्सा है इसके बिना हम कंप्यूटर या मोबाइल में डाटा स्टोर नहीं कर सकतें हैं

मुझे आशा है यह पूरा टॉपिकROM किसे कहते है यह कैसे काम करती है इसके प्रकार PROM,EROM,EEROM तथा इनकी विशेषताएं लाभ और हानियाँ आपको समझ आ गया होगा इसे शेयर कीजिये और कोई question हो या सुझाव हो तो कमेंट में लिखिए

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