
दोस्तों आप सभी का स्वागत है शादी की वेबसाइट motivationalthought.in पर,यहां पर आपको शादी से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त होगी। शादी से जुड़े जितने भी सवाल आपके दिमाग में आते हैं वह सब (motivationalthought.in) पर आपकी क्लियर हो जाएंगे। शादी क्या होता है, शादी क्यों होती है हम आपको बताएंगे इस (motivationalthought.in) के माध्यम से
अक्सर लोगों का सवाल होता है क्या शादी करना जरूरी है या फिर शादी क्यों जरूरी है और जो लोग इसको मान लेते हैं कि हमें शादी करनी है तो उनका सवाल होता है शादी का तरीका क्या है शादी की रस्में क्या होती है और शादी यानी जिसे इंग्लिश में वेडिंग Wedding कहा जाता है या मैरिज (Marriage) कहा जाता है हिंदू धर्म के अनुसार उसका एक एक्ट बनाया गया है मैरिज एक्ट । हमारी भारतीय संस्कृति के अंदर जिसे मैरिज एक्ट ऑफ इंडिया (marriage act of india )भी कहा जाता है ।
इस एक्ट के अंदर शादी क्या है, कैसे है उसके बारे में संपूर्ण जानकारी का उल्लेख किया गया है । दोस्तों आज हम शादी की वेबसाइट के माध्यम से आपको बताएंगे कि शादी क्या होता है।
शादी क्या होता है । Shadi kya hoti hai
विवाह (Vivah) जिसे शादी भी कहा जाता है । MOTIVATIONAL THOUGHT के अनुसार इसकी डेफिनेशन के अंदर बताया गया है कि शादी दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके किसी भी परिणाम जैविक तथा संबंधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है । विवाह की परिभाषा के अनुसार न केवल संस्कृतियों धर्मों के बीच बल्कि किसी भी संस्कृति और धर्म के इतिहास में भी दुनिया भर में बदलती रहती है ।
जैसा कि आप सभी ने देखा होगा कि हमारे हिंदू धर्म ,मुस्लिम धर्म, सिक्ख धर्म इन सभी धर्मों में Shaadi करने का तरीका अलग अलग है और सब के अलग-अलग रीति रिवाज है ।आमतौर पर यह मुख्य रूप से 1 संस्थान है जिसमें पारंपरिक संबंध आमतौर पर स्वीकार किए जाते हैं । विवाह यानी वेडिंग जिसको विवाह उत्सव भी कहा जाता है जिसके अंतर्गत बहुत सी रीति रिवाज मना कर परिवार वाले खुशियां मनाते है ।
शादी क्या है ?
दोस्तों शादी क्या है से हमारा तात्पर्य सिर्फ इतना है कि हिंदू धर्म में शादी को लेकर जो भी रीति रिवाज है उनका उल्लेख हमें पढ़ना चाहिए और शादी से जुड़े जो भी रीति रिवाज हम अलग-अलग धर्मों में मनाते हैं चाहे वह हिंदू धर्म हो चाहे मुस्लिम धर्म हो या सिख धर्म हो हमें शादी उसके अंतर्गत करनी चाहिए । ऐसा माना जाता है कि रीति रिवाजों (Wedding Rituals) से की गई शादी को भगवान मान्यता देते हैं । जैसा कि हिंदू धर्म में कहा जाता है कि अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए जाते हैं,जिसमें अग्नि यह साक्षी होती है कि जो भी सात वचन लिए गए हैं पति और पत्नी द्वारा वह उनको पूरी तरह निभाएंगे ।
जैसा कि आपको पता ही है कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना होता है जिसमें जल अग्नि वायु मिट्टी आकाश इन सभी 5 भूत का उपयोग हम शादी में करते हैं ,जिसमें से अग्नि को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है ।
शादी की रस्में अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग तरीके से बनाई गई है जैसा कि आपने सुना होगा की पंजाबी शादी की रस्में जो अक्सर लोगों को बहुत अच्छी लगती है पर कुछ रस्में ऐसी है जो बहुत से धर्मों में और बहुत सी जगहों पर अलग-अलग तरीके से मनाई जाती हैं ।
हिन्दू मैरिज एक्ट इन इंडिया । Marriage Act India In Hindi । Marriage Act Of India ।
भारत की संसद द्वारा सन 1955 में हिंदू विवाह अधिनियम कानून मैरिज एक्ट पारित किया गया। हिंदू धर्म में विवाह को 16 संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार है जिसे की विशेष परिस्थितियों में थोड़ा भी जा सकता है परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का संबंध होता है जिससे कि किसी भी परिस्थिति में तोड़ा नहीं जा सकता।
अधिनियम द्वारा हिंदू विवाह प्रणाली में समय-समय पर नामांकित परिवर्तन किए गए हैं । हर हिंदू स्त्री पुरुष दूसरे हिंदू स्त्री पुरुष से विवाह कर सकता है, चाहे वह किसी जाति का हो। एक विवाह तय किया गया है। द्विविवाहअमान्य एवं दंडनीय है। न्यायालयों पर यह कर्तव्य नियत किया गया है कि हर विवाहिक झगड़े में समाधान कराने का प्रथम प्रयास किया जाए। न्यायालयों को अवयस्क बच्चों की देखरेख एवं भरण पोषण की व्यवस्था करने का भी अधिकार दिया गया है।
क्या शादी करना जरुरी है ?
वैसे तो इस दुनिया में बहुत से रिश्ते हैं जैसे मां-बाप चाचा-चाची भाई-बहन आदि। यह सब रिश्ते अपनी जगह खास है पर दुनिया का सबसे खास रिश्ता पति पत्नी का है। परंतु आज के समय में सब का विचार शादी के प्रति बदल चुका है आज के समय में लड़कों और लड़कियों दोनों की ही राय शादी के बारे में अलग अलग है कुछ लोग शादी को एक आफत समझते हैं तो कुछ लोग जिंदगी की जरूरत। अलग-अलग धारणाएं होने के कारण आज शादी के मायने बदल चुके हैं।
माना जाता है कि पति और पत्नी एक दूसरे के पूरक है। शादी करने से ना केवल आपको जिंदगी संभालने वाला विश्वसनीय साथी मिल जाता है बल्कि पति या पत्नी के रूप में एक दोस्त भी। शादी करना वैसे तो जिंदगी की जरूरत है और कहा जाता है कि शादी ना करने से समाज में इज्जत भी नहीं मिलती। तो आइए जानते हैं वह कौन-कौन सी बातें है जिन्हें ध्यान में रखकर आप सकते हैं कि शादी करना क्यों जरूरी है।
यदि आप शादी नहीं करते तो आपको एक अच्छे दोस्त की कमी हमेशा खलती है। इसके अलावा शादी ना होने पर उम्र भी कम हो जाती है। शादी ना होने पर कई बार समाज में आप को सम्मान भी नहीं मिल पाता। जिंदगी में कई मोड़ आते हैं को एक अच्छे जीवन साथी की जरूरत महसूस होती है। जवानी भले ही मौज मस्ती में कट जाए पर जैसे-जैसे जवानी के दिन जाने लगते हैं तो आप अकेलापन महसूस करने लगते हैं। उम्र ढल जाने पर आपको देखभाल की भी जरूरत होती है जो एक जीवन साथी ही कर सकता है।
इन कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप अपना फैसला ले सकते हैं इसके बाद भी अगर आप शादी नहीं करना चाहते तो यह आपका निजी फैसला है। शादी का अर्थ या उद्देश्य किसी भी प्रकार की टेंशन नहीं है। यह तो भगवान द्वारा बनाया गया एक अमूल्य रिश्ता है जो आप के जीने और आपकी जिंदगी के उद्देश्य और मतलब को पूरा करता है।
इन रस्मों के वैसे तो बहुत से लॉजिक होते हैं पर कुछ रस्में लोग आजकल फैशन के लिए भी बना देते हैं । कुछ रस्में को सिर्फ इसलिए बनाया जाता है कि दोनों परिवार वालों के बीच में सामंजस्य बना रहे जबकि कुछ रस्मों को इसलिए बनाया जाता है , कि शादी के टाइम पर हमारे सभी परिवार वाले मौजूद होते हैं तो वह उस उत्सव का मजा ले सकें।
इन रस्मो के बिना, इन रीति-रिवाजों के बिना बहुत सी ऐसी परंपराएं हैं जो पूरी हो जाती है और यह भी कहा जाता है कि इनके बिना विवाह अधूरा समझा जाता है ।
कुछ परंपराएं और रीति-रिवाज ऐसे भी हैं जो पुराने जमाने से चली आ रही है और हमारे बीच में लोगों द्वारा निभाई जा रही है चाहे माँ द्वारा बारात स्वागत के टाइम दूल्हे का स्वागत करने में उसकी नाक खिंचाई हो या दूल्हे के चेहरे पर चावल फेंकना हो या फिर अपनी प्यारी सासू मां द्वारा बहू की मुंहदिखाई की हो ।
Shadi Ki Rasmo list । भारत में शादी के रिवाज। Wedding Rituals In India
Barat swagat । बारात स्वागत
Dulhe Ki Naak Khichai । दूल्हे की नाक खिंचाई
दुल्हन की पंजाबी चूड़ा की रस्म
सिन्दूर दान की रस्म
Kalire Ki Rasam । kalire for bride
Muhdikhai ki rasam । मुंह दिखाई की रस्म
शादी का तरीका । Process of marriage
ऐसा कई जोड़ों के साथ होता है, शादी तो करना चाहते हैं, लेकिन प्रोसीजर के बारे में कुछ पता नहीं होता और किसी ना किसी संकोच से जांच पड़ताल करते हुए भी कतराते हैं। आइए जाने अगर आप शादी करना चाहते हैं तो क्या प्रोसीजर है।
आर्य समाज मंदिर में विवाह का प्रोसीजर
आर्य समाज मंदिर में विवाह, हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत होते हैं। आर्य समाज मंदिर विवाह को रजिस्टर्ड करते हैं सर्टिफिकेट्स जारी करते हैं। इतना ही नहीं विवाह से पहले कंफर्म करते हैं कि दोनों पक्ष विवाह के योग्य है भी या नहीं और क्या यह विवाद दोनों की रजामंदी से हो रहा है या नहीं।
मुस्लिम ला । Muslim Law
मुस्लिम लॉ के अंतर्गत nikaah एक सिविल कॉन्ट्रैक्ट है और निकाह के लिए एक ऑफर दिया जाता है जिसे युवती कबूल करती है। इस कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत तय की मेहर की रकम युवती को दी जाती है। काजी और गवाह की मौजूदगी में यह निकाह किया जाता है। मुस्लिम लॉ के अंतर्गत युवती की उम्र 15 वर्ष या उससे ज्यादा होना आवश्यक है।
हिंदू मैरिज एक्ट । Hindu Marriage Act
हिंदू मैरिज एक्ट के अंतर्गत शादी हिंदू रीति-रिवाज से होनी चाहिए। हिंदू शादी के लिए अग्नि के सामने फेरे लेना, वचन लेना और साथ साथ कई अन्य रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है इसके बाद ही शादी पूर्ण मानी जाती है।
कोर्ट मैरिज । Court Marriage
यदि आपने शादी करने का फैसला ले लिया है और आपके पास समय है तो आप कोर्ट मैरिज भी कर सकते हैं. विशेष विवाह अधिनियम के तहत होने वाले विवाह को ही कोर्ट मैरिज कहा जाता है.
कोर्ट में युवक-युवती धर्म एवं जाति के अंतर के बावजूद भी विवाह कर सकते हैं।
शादी कैसे करे । Shadi kaise kare । How to do marriage । How to Do Court Marriage
आर्य समाज मंदिर में विवाह प्रक्रिया
आर्य समाज मंदिर में विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत होते हैं। आर्य समाज मंदिर विवाह को रजिस्टर्ड करते हैं और सर्टिफिकेट भी जारी करते हैं। नहीं-नहीं विवाह से पूर्व यह भी कंफर्म किया जाता है कि दोनों पक्ष विवाह के योग्य है भी या नहीं और दोनों पक्ष विवाह से पूर्णतया सहमत है या नहीं।
आर्य समाज मंदिर में वही विवाह कराए जाते हैं जो कि कानूनी रूप से वैद्य हो अर्थात की आयु के प्रमाण पत्र देखे जाते हैं, तय किया जाता है कि दोनों पक्ष भी विवाह के योग्य हो।
आर्य समाज मंदिर पंजिका में इन सभी तथ्यों को रजिस्टर करते हुए के बाद विवाह प्रमाण पत्र भी जारी करते हैं।
आर्य समाज मंदिर में विवाह करने के लिए युवक की उम्र 21 साल 18 साल होनी चाहिए।
दोनों पक्षों की डेट ऑफ बर्थ का प्रूफ होना चाहिए जैसे कि उनका बर्थ सर्टिफिकेट या मैट्रिक सर्टिफिकेट आदि।
दो विटनेस होने चाहिए।
एड्रेस प्रूफ होना चाहिए
विवाह से 2 दिन पूर्व एक आवेदन पत्र भरा जाता है जिसके साथ डेट ऑफ बर्थ सर्टिफिकेट अटैच किया जाता है। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही शादी कर सकते हैं।
कोर्ट मैरिज
अगर आप शादी करने का फैसला कर चुके हैं और आपके पास थोड़ा भी समय है तो आप कोर्ट मैरिज कर सकते हैं। आमतौर पर विशेष विवाह अधिनियम के तहत हुए विवाह को ही कोर्ट मैरिज कहां जाता है।
इसके लिए लड़का एवं लड़की को निर्धारित प्रपत्र में विवाह करने की सूचना जिला विवाह अधिकारी को प्रेजेंट करनी होती है।
एक नॉमिनल फीस जमा की जाती है। इस आवेदन पत्र के साथ फोटो पहचान पत्र भी प्रस्तुत किए जाते हैं।
एप्लीकेशन कलेक्टर के कार्यालय की नोटिस बुक में मेंशन होती है जिसे कोई भी व्यक्ति देख सकता है। कोई भी कानूनी बाधा ना होने पर नोटिस जारी करने के 30 दिन के अंदर या फिर एप्लीकेशन प्रेजेंट होने के 3 माह समाप्त होने से पहले कभी भी जिला विवाह अधिकारी की प्रस्तुति में विवाह संपन्न कराया जा सकता है।
कोर्ट में जाति या धर्म के अंतर के बावजूद भी विवाह किया जा सकता है।
मैरिज रजिस्टर कैसे करे । Marriage Register Online India
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ऑफ कई राज्यों में आरंभ हो चुका है। Online Registration लिए हिंदू विवाह पंजीकरण सॉफ्टवेयर रेडी किया गया है।
इस सॉफ्टवेयर की मदद से घर बैठे बैठे व्यक्ति शादी online रजिस्टर करा सकता है। आइए जाने ऑनलाइन मैरिज सर्टिफिकेट रजिस्टर करने के लिए आपको क्या करना होगा।
सबसे पहले एप्लीकेशन के लिए आपको departmental वेबसाइट पर जाकर फार्म डाउनलोड करना है.
Select your City and fill in the details.
तत्पश्चात सारे जरूरी दस्तावेजों को स्कैन करके फॉर्म के साथ अटैच करना है।
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